Through my windows...
Its my perception of the world in and around me.
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Best of today!
Thursday, June 17, 2010
वो जिसकी बातों में खुशबु , आँखों में धनुक बसता है..
इतर की शीशी रखे है , या सचमुच का गुलदस्ता है?
यूँ ही ज़ाया करती हैं वक़्त , कलियाँ फूल बनने में,
रंग-ओ-बू २ रुपये के कांच के बोतल में बिकता है...
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