मंजिलों के सराबों से तुम किसी बच्चे को बहलाना,
अब हमने सीख लिया है रास्तों से ही दिल लगाना|
बहुत मस्ती में लगता है नशे में डूबा मयखाना,
आखिर अश्कों से भरता है मीना से खाली पैमाना |
कलम की रूह जो श्याही बनी सोई है कागज़ पे,
नज़र के फूल जब फुर्सत में हों, इन पर चढ़ा जाना |
अब हमने सीख लिया है रास्तों से ही दिल लगाना|
बहुत मस्ती में लगता है नशे में डूबा मयखाना,
आखिर अश्कों से भरता है मीना से खाली पैमाना |
कलम की रूह जो श्याही बनी सोई है कागज़ पे,
नज़र के फूल जब फुर्सत में हों, इन पर चढ़ा जाना |