Thursday, June 17, 2010

वो जिसकी बातों में खुशबु , आँखों में धनुक बसता है..


इतर की शीशी रखे है , या सचमुच का गुलदस्ता है?

यूँ ही ज़ाया करती हैं वक़्त , कलियाँ फूल बनने में,

रंग-ओ-बू २ रुपये के कांच के बोतल में बिकता है...
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