Tuesday, April 8, 2014

बचपन में सीखा था मैंने

रोना , रो कर चुप हो जाना
थोडा सिसकना , फिर सो जाना

आँख कभी जब भर आये तो,
पलक झपक कर आंसू गिराना

झूमर के रंगों को पकड़ना,
नए खिलौनो से दिल बहलाना

फिर सब भूल के अनायास ही,
खुद से कुछ कहना , मुस्काना

…बचपन में सीखा था मैंने,
काम तो अब भी आता है !

Friday, February 28, 2014

जिन रास्तों पे मील के पत्थर नहीं लगे,
वो राह मुझ से मुफलिसों कि ख्वाबगाह है !


Wednesday, January 1, 2014

To the new year ..2014

नया वर्ष है , नयी दर्श है,
नयी उम्मीद और नया हर्ष है !

नित दिन नवीन निर्माण हो निश्छल,
नव जीवन का ये ही उत्कर्ष है !
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