Tuesday, April 8, 2014

बचपन में सीखा था मैंने

रोना , रो कर चुप हो जाना
थोडा सिसकना , फिर सो जाना

आँख कभी जब भर आये तो,
पलक झपक कर आंसू गिराना

झूमर के रंगों को पकड़ना,
नए खिलौनो से दिल बहलाना

फिर सब भूल के अनायास ही,
खुद से कुछ कहना , मुस्काना

…बचपन में सीखा था मैंने,
काम तो अब भी आता है !

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