Sunday, August 22, 2010

सफहा :)

तेरा नाम लिख कर जो कागज़ पे मैंने,
कुछ अल्फाजों से जब ये गुस्ताखी की थी,
यूँ लिपटी थी श्याही से कागज़ की सिलवट,
सफ्हे में मीठी इक ग़ज़ल बन गयी थी |
                              

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